वो मेरे स्वपन में, सो रही थी
मैं उसके पास गया
उसके सर में हाथ फेरा
उसे लाड़ करने का सुकून
किसी रहस्यमयी तालाब को निहारने जैसा
वो जागी
मैं उसके लबों को चूमने के लिए
आगे हुआ
उसकी सख्ती से उसके होंठ
बहुत सूखे पड़ गए थे
और मेरे उसके इंतज़ार में
हलके से लबों को लबों से छुआ
उसके गालों के एक कोने में
मुस्कान की एक छाया सी दिखी
जो उसी रहस्यमयी तालाब में
पानी की एक बूँद सी विलीन हो गयी
उस बूँद को फिर से पाने के लिए मैं
तालाब को ढूंढने निकल पड़ा
भरी दोपहर में
…….. कवि
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